नास्तिक कौन होता है ? क्या नास्तिक भ्रमित होता है?


नास्तिक कौन होता है ? 
क्या नास्तिक भ्रमित होता है?

नास्तिक उस व्यक्ति को कहते हैं जो किसी ईश्वर के अस्तित्व को नहीं मानता।

नास्तिक के बारे में विज्ञान क्या कहता है?

नास्तिक का पक्ष बिलकुल भी अवैज्ञानिक, तर्कविरुद्घ, तर्कहीन है। विज्ञान पूरी तरह से नास्तिक को रिजेक्ट करता है, क्यों की नास्तिक के पास कोई वैज्ञानिक प्रमाण , आधार नहीं है ईश्वर के अस्तित्व को झुठलाने के लिए।

नास्तिक ३ प्रकार के होते हैं

१) सामाजिक भेड़
२) विज्ञान के पास सभी प्रश्न के उत्तर हैं
३) भावनात्मक समस्या

१) सामाजिक भेड़ :-

यहां मैने क्यों इन नास्तिकों को सामाजिक भेड़ जैसे अपमानित शब्द का प्रयोग किया क्यों की ये उसी शब्द के पात्र हैं। आपको चरवाहा पता है , चरवाहे के पीछे भेड़ों का झुंड रहता है उसमे सबसे आगे वाला भेड़ जहां जाता हैं जहां घूमता है पिछे वाले भेड़ों का झुंड भी वहीं जाता हैं इन भेड़ों के जैसे ही ये नास्तिक होते हैं, खुदको बुद्धिमान, समझदार होने का दावा करने वाले ये नास्तिक वास्तविक में बुद्धिहीन, तर्कहीन, अशिक्षित होते हैं और वो जिसेके पीछे चलते हैं वो लोग भी ऐसे ही होते हैं  और इस प्रकार के नास्तिक किसी बात का अभ्यास , अध्ययन, जांच पड़ताल नहीं करते ये बस अंधो की तरह किसी के भी पीछे चलते हैं किसी की भी बात मानते हैं और ये नास्तिक उन लोगों पर आँख बंद कर विश्वास करते जबकि ये दोनों भी भ्रमित हैं इस प्रकार के नास्तिक विज्ञान के बारे में बात करते हैं पर वास्तव में इनको विज्ञान की abc भी नहीं आती। ज्यादातर नास्तिक सामाजिक भेड़ ही होते हैं।


२) विज्ञान के पास सभी प्रश्न के उत्तर हैं :-

ज्यादातर नास्तिकों को ये नहीं पता होता है कि विज्ञान काम कैसे करता है। " विज्ञान के पास सभी प्रश्न के उत्तर हैं" ये व्याख्या ही वैज्ञानिक दृष्टि से गलत है क्यों कि इसका कोई प्रमाण, आधार या एविडेंस नहीं है जो साबित करे कि  " विज्ञान के पास सभी प्रश्न के उत्तर हैं" क्योंकि की विज्ञान के पास कई  ऐसे प्रश्न है जिसके उत्तर विज्ञान को मालूम नहीं, इसका प्रमाण मैं आपको देता हूं विज्ञान को आजतक साबित नहीं हुआ या प्रमाण, आधार नहीं मिला कि भावना, क्रोध, प्रेम, सहनशीलता, चेतना, मन, बुद्धि क्या है ये कैसे बना और क्यों है। विज्ञान के पास नैतिकता, आचार विचार का प्रमाण, आधार नहीं है क्यों की विज्ञान पहले से ही इन्सान को जानवर कहता है।
ज्यादातर नास्तिक सोचते हैं कि पूरा विज्ञान ही सत्य होता है पर यह बात झूठ है विज्ञान दो प्रकार का होता है प्रमाणित विज्ञान , और अप्रमाणित विज्ञान, प्रमाणित विज्ञान सत्य होता है यह कभी नहीं बदलता। अप्रमाणित विज्ञान सत्य नहीं होता यह समय के साथ बदलता रहता है जैसे ही नया शोध या नया प्रयोग में सफलता मिलती है तो पुराने वाला वैज्ञानिक सिद्धांत बदल जाता है। अब नास्तिक यह एक बात बहुत उछालते हैं वो है इवोल्यूशन ये पूरी तरह से अप्रमाणित है अभी तक सिद्ध नहीं हुआ है दुनिया का कोई भी वैज्ञानिक या विज्ञान ने कभी भी ये दावा नहीं किया कि इवोल्यूशन ये एक मात्र पर्याय है मानव उत्पति का दूसरा कोई पर्याय है ही नहीं ऐसा दावा करने के लिए मजबूत एविडेंस, प्रमाण होना पड़ता है तब जाके कोई बात सिद्ध होती है  इवोल्यूशन पूरी तरह से सिर्फ एक थेओरी है कोई सत्य नहीं है ये बस एक कल्पना है कि शायद ऐसा हुआ होगा। पर आज तक विज्ञान को एक भी ठोस सबूत नहीं मिला इवोल्यूशन सिद्ध साबित करने के लिए।


३) भावनात्मक समस्या

ज्यादातर नास्तिकों की समस्या विज्ञान से नहीं होती बल्कि भावनाओं के आधार पर होती है जैसे कि इनके जीवन में कोई बुरी घटना घड़ी हुई होती है जिस से इनका  ईश्वरपर विश्वास कम हो जाता है और दूसरे समस्या जैसे दुनिया में इतनी अराजकता क्यों है, नरक की समस्या, दुनिया में इतने धर्म, ईश्वर क्यों है, इस्लाम हिंसा को बढ़ावा देता है,  इन सभी प्रश्नों के उत्तर इसी वेबसाइट पर दिये हुए हैं।


नास्तिक सत्य को क्यों नहीं अपनाता और वो इस्लाम धर्म को क्यों स्वीकार नहीं करता?

नास्तिक की सबसे बड़ी विशेषता होती है कि उसमे अहंकार होता है ये अहंकार के भी प्रकार हैं

अहंकार की व्याख्या :-

सबसे पहले हमें अहंकार की व्याख्या को जानना जरूरी है, एक व्यक्ति है जो सोचता है वो सही है पर आगे चल के उसे ये पता चलता है कि वो गलत था पर वो अहंकार में इतना अंधा हो जाता है कि वह सबूत को झुठलाता है और कहता है मै ही सही ही हुं।


अहंकार १) मैं ही सही हुं
अहंकार २) द्वेष
अहंकार ३) मैं बुद्धिमान हुं

अहंकार १) मैं ही सही हुं :-

इस प्रकार का नास्तिक पहले से ही अपना माइंड सेट किए होता है कि जो भी हो मैं ही सही हुं और मैं कभी गलत हो ही नही सकता। इस प्रकार के नास्तिक को सुधारना बहुत कठीन होता है, ऐसे नास्तिकों से आप जितना समय लगाए वो सत्य को स्वीकार नहीं करेंगे ऐसे नास्तिक, बुद्धिहीन, मूर्ख, अज्ञानी होते हैं ऐसे नास्तिकों को विज्ञान की abc भी नहीं आती और वो विज्ञान के बारे में बाते करते हैं। ऐसे बहुत ज्यादा प्रमाण में नास्तिक आपको समजिक भेड़ के प्रकार में नजर आएंगे।


अहंकार २) द्वेष :-

यहां द्वेष का अर्थ क्या है, द्वेष धर्म के प्रति, एक बच्चा जो एक परिवार में जन्म लेता है, वो ऐसे परिवार में जन्म लेता है जंहा पहले से ही द्वेष होता हैं एक धर्म की प्रति, वो बच्चा उसी परिस्थिति में बड़ा होता हैं उसके मित्र दोस्त भी वैसे ही होते हैं जब वह जानता है सत्य क्या है तब वो सोचता है पूरी जिंदगी मैने झूठ नहीं सुना इसलिए वो सत्य को झुठलाता है, जब आपको पता है यह सत्य है तो आप स्वीकार क्यों नहीं करते यही तो अहंकार है इस प्रकार के नास्तिकों में ज्यादातर ईसाई और हिंदु होते हैं।


अहंकार ३) मैं बुद्धिमान हुं :-

इस प्रकार के नास्तिकों में ज्यादातर पाखंडी, दोगलापन , झूठ बोलने वाले नास्तिक होते हैं ये प्रकार के नास्तिक कुछ ज्यादा ही होशियार होते हैं इनको सब कुछ पता होता है क्या सत्य है और क्या झूठ है पर ये ढोंग रचाते हैं जैसा कि इनको कुछ पता ही ना हो पर वास्तविक में ये सब जानते समझते हैं पर ये ढोंगी होते हैं सत्य को स्वीकार करने से खुद इनका अहंकार इन्हें रोकता है। इस प्रकार के नास्तिक जब बात करते हैं तो पहले आप को कहेंगे मैं नास्तिक हुं पर जब वो अपने पक्ष का बचाव करने में असमर्थ हो जाते हैं तो वो अग्नोस्टिक बन जाते हैं यहां तक कि विज्ञान को मानने से भी इन्कार करते हैं ऐसे नास्तिक गिरगिट की तरह रंग बदलते हैं पक्ष बदलते हैं।


निष्कर्ष

नास्तिक की वास्तविक व्याख्या क्या है :-

नास्तिक एक ऐसा इन्सान होता है जों भ्रम का शिकार हुआ होता है वो भ्रमित होता है या फिर अज्ञानी होते हैं इनको पता नहीं होता विज्ञान किस तरह काम करता है इनमें अहंकार होता है यही एक वजह इनको इस्लाम स्वीकार ने से रोकता है।

उपाय  Solution :-

नास्तिकों के लिए उपाय का दरवाजा बंद है क्यों कि जब तक वो अहंकार, पाखंड, दोगलापन नहीं छोड़ते तब तक उन्हे सत्य का रास्ता नहीं दिखेगा।

उपाय खुद उनके बुद्धि में है सिर्फ उन्हे उनके बुद्धि को खोल कर मुक्त भावनाओं से एक बार सबुत, और प्रमाणित पुस्तकों की समीक्षा , अभ्यास, अध्ययन, जांच पड़ताल करनी चाहिए,  उन्हें कुरान का अनुवाद को उन्हें जो भाषा आती है उस भाषा में पढ़ना चाहिए।

आपका शुक्रिया पढ़ने के लिए, अपने जीवन के बारे में एक बार सोचीए और सही चुनाव कीजिए।

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